POWERFULL LOVE VASHIKARAN MANTRA IN HINDI

Vashikaran Mantras are used to control someone. It is highly recommended not to misuse them. Malefic intentionally use brings no result. Love is God but Lust is Shaitaan. Use for Love not for Lust. Always prefer humanity.
सम्पूर्ण तन्त्र शास्त्रों के प्रणेता भगवान शंकर ही माने जाते हैं। शाबर तंत्र का उद्भव भी उन्हीं भोले नाथ के मुख से ही हुआ है। ये मंत्र अंचलीय अथवा ग्रामीण भाषा में होते हैं। प्रायः देखने में आता है कि इनका कोई अर्थ उद्भाषित नहीं होता है, लेकिन इनका प्रभाव बहुत सटीक होता है। वैदिक मंत्रों की भांति इनमें बहुत लम्बा अनुष्ठान करने की आवश्यकता नहीं होती है। इन्हें किसी विशिष्ट काल में थोड़े ही संख्या में जप करने से कार्य पूर्ण हो जाता है। इनकी साधना हेतु साधक को अल्प अवधि में, थोडे़ से परिश्रम से सिद्धि प्राप्त हो जाती है। मंत्रों की सरलता और सुगमता होने के साथ-साथ ही इनमें परम चमत्कारी गुण भी विद्यमान हैं। इनमें विभिन्न प्रांतों के क्षेत्रीय भाषाओं में षट्कर्मो, जैसे- शांतिकरण , वशीकरण, आकर्षण, उच्चाटन, विद्वेषण तथा मारण कर्मों के विधानों का उल्लेख आता है, जो साधकों के लिए वरदान स्वरूप प्रतीत होते हैं। शाबर मंत्रों की साधना में गुरू का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसके अतिरिक्त इसमें सम्बन्धित साधक अथवा देवी-देवता को सौगंध देकर कार्य पूर्ण कराने का भी विधान है। इसी लिए मंत्रों के अन्त में ‘मेरी भक्ति गुरू की शक्ति अथवा ‘लोनी चमारी की आन’ जैसे वाक्य जुड़े होते हैं। कुछ साधक पुस्तकों अथवा किन्हीं अन्य श्रोतों से मंत्र प्राप्त करके सीधे जप आरम्भ कर देते हैं, यह उचित नहीं है। कुछ मंत्र इतने प्रभावशाली होते हैं, जो साधक के लिए जी का जंजाल बन जाते हैं। अतः मेरा परामर्श है कि जब भी इन मंत्रों की साधना करें अपने गुरू से परामर्श अवश्य लें और उनके निर्देषानुसार ही साधना आरम्भ करें।

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Shabar Mantra For Love,Marriage,Husband,Wife,Lady in Hindi

1." बारा राखौ, बरैनी, मूँह म राखौं कालिका। चण्डी म राखौं मोहिनी, भुजा म राखौं जोहनी। आगू म राखौं सिलेमान, पाछे म राखौं जमादार। जाँघे म राखौं लोहा के झार, पिण्डरी म राखौं सोखन वीर। उल्टन काया, पुल्टन वीर, हाँक देत हनुमन्ता छुटे। राजा राम के परे दोहाई, हनुमान के पीड़ा चौकी। कीर करे बीट बिरा करे, मोहिनी-जोहिनी सातों बहिनी। मोह देबे जोह देबे, चलत म परिहारिन मोहों। मोहों बन के हाथी, बत्तीस मन्दिर के दरबार मोहों। हाँक परे भिरहा मोहिनी के जाय, चेत सम्हार के। सत गुरु साहेब।”

विधि:-

उक्त मन्त्र स्वयं सिद्ध है तथा एक सज्जन के द्वारा अनुभूत बतलाया गया है। फिर भी शुभ समय में १०८ बार जपने से विशेष फलदायी होता है। नारियल, नींबू, अगर-बत्ती, सिन्दूर और गुड़ का भोग लगाकर १०८ बार मन्त्र जपे।
Use Of Mantra:-

मन्त्र का प्रयोग कोर्ट-कचहरी, मुकदमा-विवाद, आपसी कलह, शत्रु-वशीकरण, नौकरी-इण्टरव्यू, उच्च अधीकारियों से सम्पर्क करते समय करे। उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए इस प्रकार जाँए कि मन्त्र की समाप्ति ठीक इच्छित व्यक्ति के सामने हो।

2. “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं वाराह-दन्ताय भैरवाय नमः।”

विधि:-

‘शूकर-दन्त’ को अपने सामने रखकर उक्त मन्त्र का होली, दीपावली, दशहरा आदि में १०८ बार जप करे। फिर इसका ताबीज बनाकर गले में पहन लें। ताबीज धारण करने वाले पर जादू-टोना, भूत-प्रेत का प्रभाव नहीं होगा। लोगों का वशीकरण होगा। मुकदमें में विजय प्राप्ति होगी। रोगी ठीक होने लगेगा। चिन्ताएँ दूर होंगी और शत्रु परास्त होंगे। व्यापार में वृद्धि होगी।

3.“ॐ अमुक-नाम्ना ॐ नमो वायु-सूनवे झटिति आकर्षय-आकर्षय स्वाहा।”

विधि:-

केसर, कस्तुरी, गोरोचन, रक्त-चन्दन, श्वेत-चन्दन, अम्बर, कर्पूर और तुलसी की जड़ को घिस या पीसकर स्याही बनाए। उससे द्वादश-दल-कलम जैसा ‘यन्त्र’ लिखकर उसके मध्य में, जहाँ पराग रहता है, उक्त मन्त्र को लिखे। ‘अमुक’ के स्थान पर ‘साध्य’ का नाम लिखे। बारह दलों में क्रमशः निम्न मन्त्र लिखे- १॰ हनुमते नमः, २॰ अञ्जनी-सूनवे नमः, ३॰ वायु-पुत्राय नमः, ४॰ महा-बलाय नमः, ५॰ श्रीरामेष्टाय नमः, ६॰ फाल्गुन-सखाय नमः, ७॰ पिङ्गाक्षाय नमः, ८॰ अमित-विक्रमाय नमः, ९॰ उदधि-क्रमणाय नमः, १०॰ सीता-शोक-विनाशकाय नमः, ११॰ लक्ष्मण-प्राण-दाय नमः और १२॰ दश-मुख-दर्प-हराय नमः।

4.“ॐ गर्जन्तां घोरन्तां, इतनी छिन कहाँ लगाई ? साँझ क वेला, लौंग-सुपारी-पान-फूल-इलायची-धूप-दीप-रोट॒लँगोट-फल-फलाहार मो पै माँगै। अञ्जनी-पुत्र ‌प्रताप-रक्षा-कारण वेगि चलो। लोहे की गदा कील, चं चं गटका चक कील, बावन भैरो कील, मरी कील, मसान कील, प्रेत-ब्रह्म-राक्षस कील, दानव कील, नाग कील, साढ़ बारह ताप कील, तिजारी कील, छल कील, छिद कील, डाकनी कील, साकनी कील, दुष्ट कील, मुष्ट कील, तन कील, काल-भैरो कील, मन्त्र कील, कामरु देश के दोनों दरवाजा कील, बावन वीर कील, चौंसठ जोगिनी कील, मारते क हाथ कील, देखते क नयन कील, बोलते क जिह्वा कील, स्वर्ग कील, पाताल कील, पृथ्वी कील, तारा कील, कील बे कील, नहीं तो अञ्जनी माई की दोहाई फिरती रहे। जो करै वज्र की घात, उलटे वज्र उसी पै परै। छात फार के मरै। ॐ खं-खं-खं जं-जं-जं वं-वं-वं रं-रं-रं लं-लं-लं टं-टं-टं मं-मं-मं। महा रुद्राय नमः। अञ्जनी-पुत्राय नमः। हनुमताय नमः। वायु-पुत्राय नमः। राम-दूताय नमः।”

विधि:-

अत्यन्त लाभ-दायक अनुभूत मन्त्र है। १००० पाठ करने से सिद्ध होता है। अधिक कष्ट हो, तो हनुमानजी का फोटो टाँगकर, ध्यान लगाकर लाल फूल और गुग्गूल की आहुति दें। लाल लँगोट, फल, मिठाई, ५ लौंग, ५ इलायची, १ सुपारी चढ़ा कर पाठ करें।


अतः मेरा परामर्श है कि जब भी इन मंत्रों की साधना करें अपने गुरू से परामर्श अवश्य लें और उनके निर्देषानुसार ही साधना आरम्भ करें।

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